विनम्रता
विनम्रता
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करता करे न कर सके, जो विनम्रता कर जाए,
न जाने कुछ लोग क्यों, विनम्र होने से घबराए।।
जहाँ न चले उग्रता, वहाँ चले विनम्रता
फिर क्यों मन हो डाँवाडोल क्या करूँ सोचता ।।
श्रेष्ठ इंसान है वही, विनम्र हो जिसका व्यवहार
सबका प्रिय वह बने, जानत सकल संसार ।।
बड़ा, बड़ा तब बने जब करे छोटों का मान
यही विनम्रता उसकी, दिलाती उच्च स्थान ।।
झुकना जिसने सीखा नहीं उसका नहीं कोई मोल
बाहरी आडम्बर चाहे करे, पहचाने सब उसके बोल।।