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Anita Koiri

Tragedy

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Anita Koiri

Tragedy

विकास और इंसान

विकास और इंसान

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आंकड़ों का खेल देख कर रो देता है मन

हाय कितना सस्ता हो गया है अब यह मानव जीवन

वह देखो खुन का सौदागर आ रहा है विकास बन

कहता है परिवर्तन ला दूंगा यहां वहां दनादन

लोग मर रहे हैं ना मिल रहा है आक्सीजन

नेता बैठ बना रहा है अपने लिए भवन

इन पापों का हिसाब होगा चाहे जितना कर लें हवन

इस मिट्टी के लाल मर गये तु मना रहा जश्न

भूख से बिलखता बच्चा रोता है उसका तन मन

मां बाप परिवार है खोया क्या यही है असली परिवर्तन

आंकड़ों को देख कर समझने जाना पड़ता है शमशान

हाय और कितना विकास और देखेगा इंसान।



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