वीरों की गाथा
वीरों की गाथा
किसी एक की कुर्बानी से देश नहीं आज़ाद हुआ
मिटे अनगिनत देश की खातिर तब जाकर आज़ाद हुआ।
कोई एक तो नाम नहीं जिसका मैं नाम यहां लिखूं
किसकी गाथा तुम्हें सुनाऊं किसका मैं गुणगान लिखूं।
कभी मुगल से कभी अंग्रेजों से देश के लिए लड़े
चट्टानों की तरह देश के दुश्मन के आगे थे अड़े।
वीर भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और आजाद यहां
राणा सांगा, वीर शिवाजी और महाराणा प्रताप यहां।
लक्ष्मी बाई मंगल पांडे बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां
भारत माता की रक्षा में हँसते हँसते दे दी जाँ।
नेता जी सुभाषचन्द्र सावरकर उधम सिंह जैसे वीर
देकर अपनी कुर्बानी भारत की बदली तकदीर।
ऐसे कितने और लाल इस धरती पर कुर्बान हुए
कुछ के नाम रहे होठों पर और कई गुमनाम हुए।
पर भारत की आज़ादी में जिस जिस का योगदान रहा
अमर नाम बलिदानी का है बहुमूल्य बलिदान रहा।