वीर तुम बढ़े चलो
वीर तुम बढ़े चलो
वीर तुम बढ़े चलो !
धूप हो कि लू चले, तवे समान भू जले,
बूंद एक नीर की मिले न कंठ को भले,
है उपाय भूख का कि पेट हाथ से मलो ।
वीर हो बढ़े चलो !
छूट जाय काम ही, रहे न पास दाम ही,
राम नाम सत्य हो, असत्य हो निजाम ही,
राजमार्ग देश के सभी सपांव नाप लो ।
वीर तुम बढ़े चलो !
सोच को बड़ी करो, कभी न मौत से डरो,
धर्म-राष्ट्र के लिए, विकास के लिए मरो ।
देश के मजूर हो ? महान हो, चले चलो ।
वीर तुम बढ़े चलो ।
चले चलो, चले चलो !!
