वीर प्रताप
वीर प्रताप
चितौड़ जिनकी कर्मस्थली,
हल्दी घाटी रणभूमि थी,
चेतक पर सवार हो कर,
मुग़लों की दुदुंभी बजायी थी।
वीर प्रताप के वंशज हम,
सौगंध उनकी खाते हैं,
जन्म दिवस पर आज उनके,
शत शत शीश नवाते है।
खून रगों में राजपूत का,
रह रह हिलोरे लेता था,
कोई भी शत्रु उसके आगे,
कहीं ठहर न पाता था,
घास फूस की रोटी खा कर,
माटी की आन बचाई थी ।
उनके भाले के कौशल से,
दुश्मन भी घबराया था,
अकबर जैसा दैत्य आगे उनके,
कहीं ठहर न पाया था।
मानसिंह ने षड्यंत्र रचकर,
अकबर को राज दिलाया था ।
ऐसे वीर की वीरता को,
नमन हम सब करते हैं,
आज जन्मदिवस पर उनके,
शत शत शीश नवाते है ।