विहग करते हैं कलरव
विहग करते हैं कलरव
बगिया में खिले फूल,हंसते दिखें दुकुल,
बीता गया तम शूल, सुखदाई भोर है
विहग सुनाते गीत,जागो प्यारे मन मीत,
रैना अब गई बीत, , चहुंओर शोर है
कनक किरण संग,वसुधा के खिले रंग,
महके हैं अंग-अंग, मलयजी जोर है
पूज पग देव गुरु,नित्य हो दिवस शुरू,
सुख का प्रसार ही महर्षि चहुंओर है
नेह भरौ फागुन गयौ, मन कूं दैगौ आस!
रंग बिरंगी देह में, भरगौ नवल उजास!!
श्रीराधामाधव लखें, कुंजन करत किलोल!
उर कूं आनंदित करें, मुरली के मृदु बोल।।