माता का आशीष लो
माता का आशीष लो
माँ नवदुर्गा के नवरात्र का शुभ दिन है आया ,
इस दिन माँ कात्यायनी का परचम था लहराया ।
महिषासुर का वध करने माँ ने यह रूप था लिया ,
सूर्य मंडल की अधिष्ठात्री का स्थान ग्रहण था किया ।
ब्रज की गोपियों ने ' कान्हा ' को जब पाना चाहा था ,
माँ कात्यायनी का ही व्रत और पूजन सबने किया था ।
महर्षि कात्याय की उपासना से प्रसन्न ये हुई थी ,
महर्षि की पुत्री बन के माँ कात्यायनी कहलाई थी ।
स्नेह और शक्ति का बड़ा ही समन्वय है माँ में ,
दुष्टों पर अपना चंद्रहासा खड़ग चलाया था माँ ने ।
माँ कात्यायनी की पूजा अर्चना है बड़ी ही फलदायी ,
भक्तजनों के जन्मोंजनम के संकट हरने माँ है आई ।