आलोकित पथ
आलोकित पथ
प्रातः वसुधा बुहार रही,
रवि रश्मि स्वर्ण मयी,
धरती मगन मन,
उनको निहारती !
नवल लतायें सजी,
खिली जो सुमन कली,
महकाती गली-गली,
महक है बिखेरती !
रवि का है उपकार,
मेटते वो अंधकार,
रजनी के मोती धरा,
उन पर है वारती !
हे दिनेश शक्ति स्त्रोत,
मारो राग के खद्योत,
भरे जीवन में आलोक
कर जोर करें आरती !