माँ है वो
माँ है वो
क्या लिखूं मां के बारे में
सारा जगत जानता उसके बारे में
एक वही तो है।
जो जानती है मेरे बारे में,
आंखे खोली पाया उसे
छाया मिली उसकी आंचल तले,
उसके रक्त से अवशोषित
उसके प्रेम का सार
उसका गीत वो मेरी संगीत,
मेरी छाया परछाई
मेरा झूला मेरा खिलौना
सब कुछ बन जाती,
उसका हृदय सागर से गहरा
समेट लेती जाने क्या क्या
उसके तन की खुशबू
दीपक के घी की महक,
ईश्वर का उपहार
बच्चे का वरदान
नतमस्तक परमात्मा उसके आगे
मां कभी मरती नहीं
जिंदा रहती सांसों में
एहसासों में
खयालों में
ईश्वर के रूप में,
मां रहती आस पास
स्नेह स्पर्श के रूप में
आत्मा के रूप में
हृदय आंगन में
तुलसी के जलते दीप में,
आंगन के चौबारे में
मां ही तीर्थ
मां ही गंगा
मां के कदमों में जन्नत ही जन्नत
नहीं ऐसी कोई जगह
जहां न बांधती हो वो मन्नत.....