देव दीवाली का प्रावधान
देव दीवाली का प्रावधान
लक्ष्मी जी का पूजन हो रहा,सकल देश में प्रसार ;
माता वैभवी से विनय करें,शोभित रखिए संसार !
अंधकार के पथ में जलाएं ज्ञान का प्रखर ज्योत ;
द्वेष,दर्प ,कुंठा मिटे,प्रेम की बाती से हों ओतप्रोत !
भाव दया का हिय राखिए,सदकर्म करें मनोयोग ;
कटुता का तम उर से मिटे,आपस में करें सहयोग !
ज्ञान, बुद्धि में सब आगे बढ़ें,सद्गुण की सजे कतार ;
राष्ट्रप्रेम का ध्यान सदा रहे,दीपों का धवल त्यौहार !
वाणी सबकी हो मृदु मधुर ,तभी कहलाएं विद्वान ;
मातु पिता की सदा सेवा करें,संतान का धर्म प्रधान !
बहुधा समझ नहीं पाते लोग,क्या सार सनातन धर्म ;
अपने संस्कारों की पूंजी सहेजें समझे दूसरों का मर्म !
देव दिवाली आज मनाइए, करिए सारे विधि विधान ;
अंधकार पर प्रकाश की विजय का,ये पर्व है प्रावधान !
असत्य सदा हारता आया है, होती रही सत्य की जीत ;
इस दीपोत्सव त्यौहार के मूल में,यह व्यंजना है प्रतीत !
