टैगोर...
टैगोर...
श्री गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती पर विशेष प्रस्तुति
साहित्य विश्व की महान विभूति
चमकती रहे इस देव भूमि पर।
गीतकार दार्शनिक कलाकार
संकीर्ण राष्ट्रवाद से बहुत दूर।
सोच में विश्वबन्धुत्व का सार
विराजमान विश्व कवि पद पर।
श्री गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर।
गुरुदेव की आत्मीय प्रार्थना में
साहस और सौन्दर्य का संगम।
आध्यात्म के पावन सरोवर में
रहस्य पूर्ण भावनाओं का दर्शन।
यही श्री की कविताओं का मंथन।
तीव्र प्रवाहित काव्य साधना में
निर्विघ्न अप्रतिम रचना अपार।
वेदना और वन्दना साथ चलते
करती माँ सरस्वती की आराधना
श्री के कर ढूंढे हीरे मोती बेहतर।
साहित्य विश्व की महान विभूति
चमकती रहे इस देव भूमि पर।