हनुमान जयंती पर...
हनुमान जयंती पर...
वह अञ्जनी कोख जन्मे हनुमाना।
पवन सुत इति प्रसिद्धहि नामा।।
बचपन से प्रखरहि बुद्धि पाना।
धीर वीर जगत रूप जाना।।
जा संकट नाम गोहरावा।
ता पास हनुमत चलीआवा।।
जपत नाम कष्ट दूर भागा।
प्रभु श्री राम नाम मन जागा।।
विविध नाम हृदयहि मन राखा।
सो सुख पाय दुख नही देखा।।
इहि भांति हनुमत गहराई चल,
पावहिं सुखद पल रावरो।
हर पल हर नयन राखी चल,
उद्विग्न उद्वेग न जग मन भरो।
जिह्वा रटे मन ही जपत चल,
निज गेह सुमन विकच भर चलो।
इहि भांति मान हनुमत जगत,
सर्वहि निर्भय हो जगत चलो।।
एक शक्ति और एक ही वृहद रूप,
हनुमत श्री की है ऐसी संसृति बिराजित।
तद रूप जान ज्ञान और मान की कृति,
सम्मान, सृष्टि विधान ईहि विधि है संस्कृति।।