"विद्रोहिणी"
"विद्रोहिणी"
विद्रोहिणी हूँ क्योंकि
घर की चौखट पार कर
निकल आयी हूँ और
हर क्षेत्र में जीत का
परचम लहरा रही हूँ…
विद्रोहिणी हूँ क्योंकि
समाज की दकियानूसी
छोटी उस सोच की कि
औरत बस घर का श्रृंगार है
बाहर की दुनिया में
दे रही हूँ सबको चुनौती…
विद्रोहिणी हूँ क्योंकि
अनपढ़, अज्ञानी रहना
स्वीकार नहीं है मुझे
अर्जित कर हर ज्ञान
अंतरिक्ष की सैर पर
मजबूत और सकारात्मक
कदम बढ़ा रही हूँ मैं…
विद्रोहिणी हूँ क्योंकि
पुरुषों के बनाये साँचे
तोड़कर अपना भविष्य
खुद गढ़ रही हूँ, घर की
अब 'कर्ता' बन रही हूँ मैं…
हाँ मैं विद्रोहिणी हूँ क्योंकि
अब अपना हक माँग रही हूँ...।
