सागर सा जीवन
सागर सा जीवन
सागर सा विशाल जीवन
सतत चलायमान
उठती, नाचती लहरों सी
ख्वाहिशें, भावनाएँ
सागर की गहराई लिए
मानव का अंतर्मन
किनारों से टकराती तरंगें
सुख दुःख के तीरों से बँधी
किनारों पर बिखरे रेत सा
अनंत सपनों का जहान
आशा की किरणों संग
अठखेलियाँ करता चाँद
सीपियों, मछलियों, मूँगों सी
समय के अंतराल में डूबती उम्र
झकझोरती है बारम्बार
भीतर की सुनामी
चक्रावात की तरह
गरजता हुआ मन
हर सुबह सागर के गर्भ से
निकरता ठंडा सूरज
कभी पूछता नहीं मुझसे
मेरे अस्तित्व का मतलब
अनंत रास्तों पर चलता
अनंत की यात्रा पर!