विधवा की वेदना और नववर्ष
विधवा की वेदना और नववर्ष
प्रिय तुम बिन कैसे जी रही हूं
ये मैं ही जानती हूं
दिन भी मेरे लिए रात के समान है
आँखें अश्रु बहा बहाकर परेशान है
नववर्ष भी नज़दीक है पर
मेरे लिए तो नववर्ष भी पुराने वर्ष
की तरह ही हैं, किसके साथ
ख़ुशियाँ मनाऊँ
किसके संग दिल का दर्द साझा करूँ
मेरी जिंदगी में न जाने असमय
कैसा भूचाल आ गया
सबकुछ बिखर गया हाँ मेरी जिंदगी
ही तबाह हो गई आपके असमय
चले जाने से
बेटे बहुओं का बर्ताव मेरे प्रति
कुछ अच्छा नहीं
हाँ बच्चे भी बड़े और समझदार
हो गए हैं
इसमें उनकी भी कोई ग़लती नहीं
हमने अपना सर्वस्व समर्पित किया था
बच्चों की खुशी की ख़ातिर फिर भी
बच्चों की नज़रों में तनिक भी
मेरे प्रति प्रेम नहीं
हाँ नववर्ष की ख़ुशियाँ मनाऊँ
किसके साथ मैं
जब आपका साथ ही न रहा
मेरे साथ में।।
