विडम्बना
विडम्बना
मन में उठते प्रश्न कई, पर उत्तर किसके पास मिले,
पूछूँ गर मैं इस दुनियाँ से, हर पल मेरा उपहास बने...
हिन्दुस्तान में रहते हैं, फिर भी हिन्दी का प्रचार करें,
जो बोले शुद्ध यह वाणी तो, उसको क्यों तिरस्कार मिले।
अंग्रेज़ी का ज्ञान जिसे, तरक्की उसे क्या खूब मिले,
जो राज भाषा का ज्ञानी है, उसे कहीं कोई न पूछ मिले।