विचार मंथन
विचार मंथन


समझ जाओ तो संभल जाया करो।
बिगड़ती बात को,
बिगड़ने की हद तक न ले जाया करो।
बेवजह ही मुसीबतों को न बढ़ाया करो।
जब समझ जाओ तो संभल जाया करो।
जीवन जब तार तार बेतार लगने लगे ,
अपनों को अपने संग ले आया करो।
जब समझ जाओ तो संभल जाया करो।
विचारों पर जब अनबन होने लगे,
पन्नों को पलटा लिया करो।
जब कही बातों की सुनी अनसुनी होने लगे।
विचार मंथन कर लिया करो।
जब समझ जाओ तो संभल जाया करो।
तरकश से जब तीर ही चलते रहे।
मान, अपमान में दूरी न रहे।
समझ जाओ तो संभल जाया करो।
उलझे धागों को सुलझा लिया करो।।