विचार बॉक्स
विचार बॉक्स


एक दिन
फेसबुक के
विचार बॉक्स में,
मैं कुछ पंक्तियां
अंग्रेजी में लिख रहा था
शायद मित्रों की झुंड से
एक आवाज आई,
नसीहत थी
भाषा को पहचानो
अंग्रेजी जब न आए
तो हिंदी को अपना लो,
लेकिन मस्तिष्क ने
प्रतिक्रिया दी
मुझसे कहा-
मातृभाषा को अपना लो,
लेकिन उसके व्यंग्यात्मक
शैली को पहचानो !
शायद इसलिए
छोटे प्रयास
हिंदी की जगह
अंग्रेजी ने ले लिया
कविताओं को अब
मैंने भी अंग्रेजी में
लिखना शुरू कर दिया।
लेकिन
उस शुभचिंतक का
अब तो लाइक भी नहीं आता !
शायद सुधार उनका
आशीर्वाद को तरसते हैं
लेकिन खैर जो भी हो
भाषा के इस जंग में
हिंदी ही मुझे रास आती
अंग्रेजी तो बस
सुधार के लिए स्टेटस बन पाए !