वैसे तो हर किसी ने कविता की है
वैसे तो हर किसी ने कविता की है
कभी शब्दों के गीत में
किसी हंसी के प्रीत में
कभी किसी की चाह में
फिर उसे मिलने की राह में!
कभी खुशी के इजहार में
कभी बेचैनी के हाल में
दीवाने बनके प्यार में
कभी शिकायत की राज में!
कभी तनहा शाम में
शराब के किसी जाम में
महफिल के उस यार में
फिर दिल्लगी की हार में!
कभी किसी की आंखें नम में
दर्द जुदाई के गम में
कभी उदासी के छाव में
फिर उसी दर्द की आह में!
कभी गुमनाम रात में
इंतजार के साथ में
कभी बेपनाह वक्त में
फुरसत भी ना मिली उस वक्त में!
लगी दिल् की आग में
किसी बेवफाई की याद में
खामोशी की सवाल में
फिर कोई गहरी चाल में।

