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Neeraj pal

Inspirational

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Neeraj pal

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वैराग्य

वैराग्य

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प्रभु चरणों में अनन्य भक्ति, अनुराग को जन्म देती है।

 चतैन्यता का अनुभव है होता,परम सुख  प्रदान करती है।।


 मनुष्य जीवन में अनुराग का होना, वैराग्यता का सूचक है।

 अहंकार और राग का दमन है होता, सत्संग ,स्वाध्याय का मूलक है।।


 नाशवान पदार्थों में लिप्त प्राणी, जीवन का सुख ढूंढता है।

 प्रतिक्रियात्मक होने के कारण, सुख प्राप्ति का प्रयत्न करता है।।


 संसारिक दु:खों को देख वह हर पल, प्रभु पर दोष मढ़ता है।

 मोहभंग का प्रयास न करता, उस में ही उलझता जाता है।।


 हार बैठता अपने प्रयासों से, सच्चे भक्तों की राह देखता है।

 प्रभु की दया उस पर है होती, अंतर्मन निर्मल होने लगता है।।


 वैराग्य रुपी बीज अंकुरित है होता, गुरु की दया उस पर होती है।

 विश्व प्रेम जागृत है होता, जो पूर्णता को प्रदान करती है।।


 दुख ही परमसुख का हेतु है, जो ईश्वर दर्शन कराता है।

" नीरज" अब भी मोह-माया तज दे, गुरु शरण में क्यों नहीं जाता है।।


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