वाह री दुनिया
वाह री दुनिया
वो गए थे बड़ी शान से इस गांव से उस शहर की ओर ,
जब खाई ठोकरें तो चल पड़े गांव की ओर ,
दिल निकाल के दे दिया गांव की उस गोरी ने
वो बेच आए इमान अपना चंद पैसे का मोह
कितना खुदगर्ज कमजर्फ हो गया है इंसान
वाह री दुनिया वाह री लोग।