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Manoj Kumar

Romance

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Manoj Kumar

Romance

उसकी तिरछी नज़र

उसकी तिरछी नज़र

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उसकी तिरछी नज़र यूँ गजब कर गई

प्यार से मुझको देखा और सब कर गई।

होश मैं न रहा उनके हसीं चेहरा पर यूँ

पलकें ऊपर उठी तो वो चमक कर गई

उसकी तिरछी नज़र यूँ गजब कर गई

प्यार से मुझको देखा ओर सब कर गई।


बाग़ में गुलिस्ताँ देखो खिलने लगा

नूर चेहरा पर उनके बिखरने लगा।

बाग़ में गुलिस्ताँ देखो खिलने लगा

नूर चेहरा पर उनके बिखरने लगा

कुछ इशारों से.. हाय

कुछ इशारों से वो बातें करने लगी

मुझको देखकर के वो शर्म कर गई

उसकी तिरछी नजर यूं गजब कर गई

प्यार से मुझको देखा ओर सब कर गई


उसकी आँखों में लब बरसता हुआ

उसकी मुस्कानों पे चाँद फिसलता हुआ

उसकी आंखों में लब बरसता हुआ

उसकी मुस्कानों पे चाँद फिसलता हुआ

जब उसे देखा तो वो हँसने लगी

पता न चला वो कब कर गई

उसकी तिरछी नज़र यूं गजब कर गई

प्यार से मुझको देखा ओर सब कर गई।


कितने अच्छे थे दिन वो जब वो मिली

मुझे कुछ होने लगा उनसे दिललगी।

मैं कहूं क्या उसे, कैसे इजहार करूं

मैं सोचता ही रहा देखते ही वो सब कर गई

उसकी तिरछी नजर यूं गजब कर गई

प्यार से मुझको देखा ओर सब कर गई।।


गीत के तर्ज- मेरे रश्के क़मर उफ़ गजब हो गया 




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