उस गली उस घर जाना नहीं है
उस गली उस घर जाना नहीं है
प्यार-इज्जत का मिलता जहाँ नजराना नहीं है
उस गली उस घर मुझे कभी भी जाना नहीं है,
खुश हूँ मैं रो कर भी,के आँसू मेरे अपने तो हैं
पर,झूठी हँसी मुझे जरा भी मुस्कुराना नहीं है,
भरती हूँ पेट अपना मैं नाम पर खुदा के,पर
चाट कर तलवे किसी के मुझे खाना नहीं है,
जिन्दगी से ठोकर खाकर गिरना अच्छा है,पर
खुद की नजरों से मुझे खुद को गिराना नहीं है,
माना के मेरी कलम लिखती है "तुम्हारे लिए"
इसका मतलब पर खुद को भूलाना नहीं है।