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Amit Kumar

Abstract Drama Inspirational

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Amit Kumar

Abstract Drama Inspirational

उपलब्धि

उपलब्धि

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रोज़ जिस सड़क पर 

दनादन लोगों का समूह 

बेख़ौफ़ और सरपट दौड़ा जाता है 

आज उसी सड़क पर 

मैं खुद से भी अजनबी 

और अनजान सा खड़ा 

मूक बना सब देख रहा हूँ


यह कोई पहली मरतबा नही है

कई मरतबा का किस्सा है

लेकिन यह एहसास हर बार 

नया और अनूठा रहता है

धूल उड़ाती भागती दौड़ती गाड़ियां

अपनी भाषा मे न जाने कितने ही

अनगिनत सवालों का जमघट

हमारे इर्द - गिर्द बुनती जा रही है


हमें समझ नहीं आ रहा है

बेजान लोग जी रहे लोगों को

बेज़ान करने पर तुले है

जीव-जीव न रहकर कोई

तकनीकी उपलब्धि में तब्दील हो गया है

अपने लिए सुविधाओं को जुटाने में

स्वयं की जड़ काटता जा रहा है।


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