उलझनों के झूले
उलझनों के झूले
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
उलझनों के बीच भी मुस्कुराती है
अपने दर्द को दो घड़ी भूल जाती है।
जिंदगी हर त्यौहार को,
हर हाल में उदास होकर भी,
ख़ुशियों के झूले पर झूल जाती है।
उलझनों के बीच भी मुस्कुराती है
अपने दर्द को दो घड़ी भूल जाती है
जिंदगी हर दिन ,
नयी लड़ाई के लिए तैयार हो जाती है
रोते हुए भी मुस्कुरा कर,
सब ठीक है.......!!!!
यह बात कह जाती है।
उलझनों के बीच भी मुस्कुराती है
अपने दर्द को दो घड़ी भूल जाती है।
जिंदगी में झूले ही,
नहीं मिलते हर पल।
रस्सियों पर झूलती
जिंदगी भी,
अपनी बात कह जाती है।
ख़ुशियाँ कीमतों से ही नहीं खरीदी जाती।
मुस्कुराने के लिए हर दर्द से उभरकर,
जिंदगी हर बात कर जाती है।