उड़ना तो नहीं भूले
उड़ना तो नहीं भूले
जमीं पर यदि कभी गिरे थे
तो क्या हुआ ?
हम उड़ना तो नहीं भूले
पिछड़े होगे कभी तुमसे
तुम्हारी भीड़ के चाल में
पर हम अपने पहचान को
संभालना नहीं भूले
गिरूंगा फिर कभी
यदा-कदा पंख मेरा
यदि हालातों में जख़्मी हुआ
गिरकर फिर संभल जाऊँगा
जज्बों के सहारे फिर उड़ जाऊँगा
निकल जाऊँगा आसमां को छूने
क्योंकि हम उड़ना नहीं भूले।