उड़ान
उड़ान
भर ले मनुष्य तू अपनी उड़ान।
नई ताज़गी के पर लगाकर।
उड़ चले तू छू ले गगन को।
देर न कर कुछ समझकर।
अब नहीं मिलेगा तुझे ये घड़ी।
चलती फिरती रफ्तार में।
पीछे जब हो जाओगे इंतजार करते करते।
तुम्हें कोई सहारा देने नहीं आयेगा इन्हीं राह में।
अपने अंदर ला जुनून, जला दे दीप को।
तू हद करके निकल जा तोड़ दे सलाखें।
बदल दे अपना सोच तू पीछे मुड़ कर न देख।
उड़ जाओगे तुम भी एक ऊंचाइयों पर,
क्या करेंगे फिर से सलाखें।
कुछ भी मत बोल गुनगुनाते जा अपनी मंजिल पर।
अगर आए भी कोई ठोकर, तुम हंसते रहना फूल बनकर।
रास्ते में आते हैं अनेक तूफ़ान धूल मिट्टी के।
तुम उससे सामना करो डट डटकर।