STORYMIRROR

अजय गुप्ता

Inspirational

4  

अजय गुप्ता

Inspirational

उद्भव

उद्भव

1 min
317

सूर्य अस्त हुआ तो क्या हुआ

कल पुनः उदित होगा


स्निग्ध रश्मियों से फिर

नव मार्ग प्रशस्त होगा


है ये गोधूलि की बेला

एक रात तुम ठहर जाओ


तुम्हारी स्वेद की हर बूंद का

कल नया मैराथन होगा


शायद मार्ग दुर्गम हों

धीमी गति से ही संतुलन हो


 कदम पीछे हटाना पड़े तो क्या हुआ

यदि परिणाम सुंदर जीवन होगा


धरा निर्जीव पाषाण नहीं

उसके स्पंदन को सुनना होगा


धरा के हैं अपने नियम 

उसकी प्रकृति को सहेजना होगा


जीवन नश्वर है तो क्या हुआ

निरंतरता से ही अमरत्व होगा


विकास की परिभाषा में

केवल मुद्रा कोष ही क्यों


धरा की हर खुशी को

कई बार जोड़ना होगा


सूर्य अस्त हुआ तो क्या हुआ

कल पुनः उदित होगा


स्निग्ध रश्मियों से फिर

नव मार्ग प्रशस्त होगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational