अमृत
अमृत
राजनीति और नेता नगरी
जहां बसते अंधभक्त या अंधविरोधी
नेता दिखाता, दूर गिरते सुंदर झरने
भूखे– प्यासों को सुधा रस के सपने
लक्ष्य है उसका, वहां तक मार्ग बनाना
हर हाथों अमृत कलश पहुंचाना
भक्त तो स्वर्ग का छुपा द्वार भी देख रहे
कुछ अप्सराओं का नृत्य देख रहे
अंध विरोधियों को नहीं दिखता
दूर गिरता, वो श्वेत धवल झरना
उसके पीछे छुपा स्वर्ग का द्वार
अप्सराओं का मोहक छलना
भक्तों की एक पूरी फौज
जिसके मुख में जीभ है
जो शब्दों से ध्वस्त कर सकती
उन अज्ञात, अदृश्य शत्रुओं को
वह जो हैं अमरत्व के विरोधी
जो प्रकाश नही, अंधकार चाहते
हां, वही जो शशि–तारे के प्रेमी हैं
आश्चर्य! अंध विरोधियों को भी
वहीं एक पुल बनाना है,
लोगों को उस पार ले जाकर
दिखाना है उन्हे यथार्थ
कि नही है वहां कोई झरना।
कुछ अंधविरोधी नास्तिक हैं
पर समुद्र मंथन पर यकीन है उनका
पता है उन्हे पुल निर्माण से मंथन होगा
न जाने कितने रत्न मिलेंगे
यदि कहीं अमृत मिल गया
तो बस अपनो में ही बटेंगा
क्योंकि वही शुद्ध हैं
दूसरे सभी असुर हैं
उनके पास योजना भी है
कोई अन्य अमृतपान करना चाहेगा
तो उसका शीश कैसे काटा जाएगा
कुछ हाथों में है छेनी–हथौड़ी
जो पर्वत को निरंतर काट रहे
उन्हे हटाना है मार्ग की हर बाधा को
जंगलों को, पर्वतों को, बस्तियों को,
बांध देना है, उफनती नदी को
सुरंगों का जाल बिछा देना है
और पहुंच जाना है उस झरने पर
जहां अमृत निरंतर गिर रहा
उन्हे पता है कोई भी आ जाए
अंधभक्त या अंधविरोधी
होंगे उन पर ही निर्भर,
क्योंकि दोनो ही अंधे हैं,
इस मंथन में विष–अमृत
जब भी निकलेगा
उनके हाथों ही बंटना होगा
अंधे जब तक समझेंगे
वह अतीत बन चुके होंगे
पहाड़ों का दरकना,
शहर का नदीं में डूबना,
केदारनाथ की जलप्रलय
जोशीमठ का होना या न होना
आहुति है, एक बड़े हवन में
जिसके पूर्ण होने पर
अमृत का झरना मिल जायेगा
बाजार में भी हलचल है
व्यापारी को पता है
झरने की दूरी अनंत है
सामग्री की असीमित खपत
धरा के गर्भ में खनन
उन्हे मालामाल बना देगा
जीडीपी को भी सुधार देगा
अंधभक्त, अंध विरोधियों से अलग
छेनी हथौड़ी से विरक्त
एक बड़ा तबका
रुपहले परदे पर चलचित्र देख रहा
भाती है कहानी उसे
इन सबके युद्ध की
नीति और राजनीति की
छेनी – हथौड़े के संघर्ष की
वह, डरता नहीं
किसी भी जलप्रलय से
पर्वतों के खिसकने से,
ग्लेशियर के पिघलने से,
धरा के गर्म होने से
जीव जंतुओं के मिटने से
अगली पीढ़ी के न होने से।
उसे विश्वास है जब वह जागेगा
सुंदर धरती पर सुंदर जीवन होगा
हर तरफ बस अमृत कलश होगा
पीकर जिसे, सबको अमरत्व मिलेगा।
