रिश्ते
रिश्ते
अशर्फियों का टोकरा लिए
इस जहां में कौन बैठा है
ये तो प्रेम का रेशमी धागा है
हर शख्स जिससे बंधा बैठा है
ये प्रेम के रिश्ते दो दिलों में
अलग अलग पलते हैं
धूप एक है मगर सोच अलग
परिभाषाएं अपनी तरह से गढ़ते हैं
जब दरिया शान्त हो
साहिल पास हो
रिश्तों को भी कभी
आजमां लेना चाहिए
शिद्दत से प्रेम करते
हो तुम जिन्हें
बिना मांगे उम्र देते
हो तुम जिन्हें
कुछ लम्हे कुछ पल अनकहे
यूं ही मांग लेना चाहिए
दिलों में क्या चल रहा
जान लेना चाहिए
जिन रिश्तों को बुनने में
रंग टेक्सचर चुनने में
आंखों में स्वप्न भरे
उम्र गुजार दी तुमने
अनायास उन रिश्तों से कभी
किनारों की तुरपन के लिए
गहराई को समझने के लिए
सुई धागा मांग लेना चाहिए
जो आते है अक्सर
तुम्हारे गरीबखाने पर
दरवाजा किसी शाम उनका
खट खटा देना चाहिए
रिश्तों को भी कभी
आजमां लेना चाहिए
दिलों में क्या चल रहा
जान लेना चाहिए!
