उदासियों को खूँटियों पर टाँग दिया करो,
उदासियों को खूँटियों पर टाँग दिया करो,
"उदासियों को खूँटियों पर टाँग दिया करो,
बेफिक्र मुस्कुरा लिया करो,
सिलवटें माथे की भी मिटा लिया करो,
भूले हुए गीत गुनगुना लिया करो,
बिखरी-बिखरी सी,
उलझी-उलझी सी,
रहती हो क्यों?
कभी-कभी खुद को भी सँवार लिया करो,
आईने में निहार लिया करो,
बेफिक्र मुस्करा लिया करो,
नज़रें अपनी भी उतार लिया करो,
काला टीका नज़र का कानों के पीछे लगा लिया करो,
आँचल लहरा दिया करो,
करीने से आँखों में ख़्वाबों को सजा लिया करो,
रंग कम पड़ें तो फूलों से, तितलियों से चुरा लिया करो,
मन में घुट रहे लफ्ज़ों को लबों पर ला दिया करो,
पंखों को अपने पसार दिया करो,
फीकी न हो चुनरी की चमक, सितारे अपने आँचल में टाँक लिया करो,
उदासियों को खूँटियों पर टाँग दिया करो,
बेफिक्र मुस्करा लिया करो।"