Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

परेश पवार 'शिव'

Tragedy

5.0  

परेश पवार 'शिव'

Tragedy

उदासी

उदासी

1 min
214


मैं छोड़ आता हूँ

अपनी उदासी को कहीं

ये सोचकर के शायद

वो भूल जाये मेरे घर का रास्ता

देर रात तक जगाने वाले ख़्वाबों में

आधी-अधूरी-सी गज़लों में, नग़मों में

बारिश में भीगती मायूस-सी खिडकी में

किसी किताब के मोड़े हुए पन्ने की खामोशी में

अनजान किसी गलीं में,

अकेली सी किसी शाम के दामन में..

और न जाने कहाँ कहाँ

छोड़ आता हूँ मैं उसे

लेकिन पता नहीं कैसे,

पर वो मुझे ढूँढ लेती है हर बार

शायद उदासी से मेरा अकेलापन

सहा नहीं जाता


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy