उदासी
उदासी
मैं छोड़ आता हूँ
अपनी उदासी को कहीं
ये सोचकर के शायद
वो भूल जाये मेरे घर का रास्ता
देर रात तक जगाने वाले ख़्वाबों में
आधी-अधूरी-सी गज़लों में, नग़मों में
बारिश में भीगती मायूस-सी खिडकी में
किसी किताब के मोड़े हुए पन्ने की खामोशी में
अनजान किसी गलीं में,
अकेली सी किसी शाम के दामन में..
और न जाने कहाँ कहाँ
छोड़ आता हूँ मैं उसे
लेकिन पता नहीं कैसे,
पर वो मुझे ढूँढ लेती है हर बार
शायद उदासी से मेरा अकेलापन
सहा नहीं जाता