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सोनी गुप्ता

Inspirational

4.8  

सोनी गुप्ता

Inspirational

त्यौहार जब आते

त्यौहार जब आते

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अंदर कलुष अंधकार हो जितना भी किसी के मन में भरा,

और चाहे हो यहाँ कितनी भी मैली चादर छल- प्रपंच की,


चारों दिशाओं में होगी खुशियाँ और मिलेगा प्रेम और प्यार, 

अधरों पर मुस्कान खिलेगी जब आएगी खुशियाँ भरमार, 


दुनिया की रीति पुरानी वैभव देख हो जाते हैं अभिमानी, 

चहल-पहल मन में भरी उमंगे हंसता खिलता आंगन द्वार 


वैर दुश्मनी उड़े हवा में मिलजुल रहते मिलता प्यार अपार, 

जब हो खुशियाँ नफरत की सीमा टूटे सुखी हो सारा संसार, 


खुशियों का पर्व जब आएगा हर घर खुशबू से भर जाएगा, 

सबका ही जीवन चहकेगा तब होगा समानता का आधार, 


पर्वों का उल्लास लाता है जीवन में खुशियों का इतिहास, 

मानवता का बिगुल बजेगा और तब होगा जग का उद्धार, 


अंधकार को दूर कर अन्याय पर न्याय की होती सदा जीत , 

छल- कपट और बैर -भाव सब मिटाकर गाते प्रेम के गीत, 


अंधकार को दूर करके अनगिनत दीप करते यहाँ उजाला है, 

अपने अंतर्मन को जो शुद्ध रखता वो ही सच्चा दिल वाला है, 


बैर न लेना मानवता से इसके सम्मुख कोई नहीं टिक पाता है , 

जो टकराता मानवता से वो इंसान अस्तित्व अपना मिटाता है, 


पर्वों का त्यौहार जब भी आता खुशियों से दामन भर देता है, 

खुशियाँ लाता भरमार अंधकार को हर दिल से मिटाता है I



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