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Manoj Kumar

Romance Thriller

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Manoj Kumar

Romance Thriller

तू रुक जाना

तू रुक जाना

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तू रुक जरा ! अपना नाम बताते जाना..!

तू रुक जाना..!!

तुझसे कुछ सवाल है

तुझे देखकर कुछ खयाल है

कुछ तो बाते कर ले आकर,

मुझे देखकर तू मत शर्माना..!

तू रुक जाना..!!


मेरे दिल की धड़कन, धड़कने लगी..

क्या कहूं तुझसे अब

उजाला है तेरे मुखड़े पर

कैसे कहूं मैं बातें सब

सुन जरा! मेरी एक पुकार

तू मुझे ऐसे देखकर मत धिक्कार

मैं तुझसे कुछ बातें कहना चाहता हूं,

मैं अकेला हूं प्यार बिना

बस तुझसे रिश्ता बनाना चाहता हूं।

मेरे खयालों में तू ही एक सफर है।

मेरे दिल में बस तू ही प्यार का घर है।

हे! मुसाफ़िर तू ऐसे ना मुझको तड़पा..!

तू मुड़कर लौट आना..!

तू रुक जाना..!!


क्या सोच रही है तू मुड़कर

क्रोध से मुझे देखकर

क्या बैठ गया है? तेरे दिल और दिमाग़ में शब्द

जो ना आ रही है लौटकर

तू मुझसे प्यार कर ले एक बार

जो दिल में मैंने आज ठाना..!

तू रुक जाना..!!


इस तरह ठुकराकर मत जा..!

मैं अजनबी हूं इस सफर में..

पकड़ ले हाथ तू मेरे

मुझे अपना ले तू

अपने ही रफ़्तार में

मैं बावरा हूं तेरे ही प्यार में

जबसे देखा मैं तुझको

तेरे पीछे मैं पड़ गया..

तू अच्छी लगी मेरे हमसफ़र

तेरे बिन कैसे जाऊंगा मैं अपनी डगर

कुछ तो बोल दे अपने बारे में

कुवलय होंठो से मुस्काकार  

ऐसे तड़पा के तू मत जाना..!

तू रुक जाना...!


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