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Sumit. Malhotra

Romance

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Sumit. Malhotra

Romance

तू हमसफ़र है

तू हमसफ़र है

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ख़्वाब ही तो हक़ीक़त नहीं थी, 

तू हमसफ़र है सच तो नहीं था। 

दिल में जगह हम को मिली थी, 

हमें अपना घर जैसा लगता था। 


दर्द-ए-जुदाई तन्हाई संग मिला, 

किराये का जैसे कोई घर मिला। 

कोई प्यारा साथी मिल जायेगा, 

प्यार बिन जिया तो ना जायेगा। 


प्यार ज़बरदस्ती करके न पाना, 

दिल से कोई चाहे तो अपनाना। 

छत पे पहली मुलाक़ात हुई थी, 

हम दोनों की नज़रें चार हुई थी। 


हमें देखते ही तेरा वो मुस्कुराना, 

बनावटी लगे वो तेरा मुस्कुराना।

बस कुछ दिन का प्रेम किया था, 

सुन अब कोई दिल मत दुखाना।


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