तू और मैं - २
तू और मैं - २
मैं किसी चायदान में
सुखे चायपत्तीयों के
हल्के दानों के जैसा
तु धिमी आँच में उबलती
शर्करे की मीठी पानी जैसी
मैं तुझमे घुल जाने के बाद
तुझे खुदमे समाने की
कोशिश कर ही रहा होता हुँ
और...
अद्भुत ताकत वाली
इस दुनिया की चाय छन्नी
मुझे तुझसे छान लेती
हमें अलग कर जाती
मैं वापस सुख जाता
पर किसी काम का
न रह पाता
और...
तु किसी और के
प्याले में चली जाती
मेरा प्यार एकतरफा ही रह जाता।

