तू आगे बढ़ता चल..!
तू आगे बढ़ता चल..!
रुक मत न भयभीत हो
तू बस चलता चल
मंजिल न मिले जब तक
तू आगे बढ़ता चल।
मेहनत पर कर यकीं
तू लक्ष्य पर नजर रखता चल
भीड़ से अलग होकर
तू आगे बढ़ता चल।।
राह में बिखरे कांटों से
तू राह बनाता चल
दिल में रख हौसलों को
तू आगे बढ़ता चल।
समय अगर विपरीत है
ना तनिक भी तू फिक्र कर
भरकर ज्वाला को अंदर अपने
तू आगे बढ़ता चल।।
अंधकार में जुगनू बनकर
रौशनी करता चल
मुठ्ठी में रेखाओं को बांध
तू आगे बढ़ता चल।
सीने में जुनून भरकर
तू आग का दरिया पार कर
तप कर कुंदन बनना है तो
तू आगे बढ़ता चल।।
कदम बढ़ा के छू ले आसमां
तू दौड़ लगाता चल
रुकना नहीं है तुझे अब
तू आगे बढ़ता चल।
है! श्रेष्ठ मानव संतति
तू मत घबराता चल
चहुं दिशाएं गूंजेगी कीर्ति
तू विजय पताका फहराता चल।