बुलंद हौसला
बुलंद हौसला
फिर ऊँची उड़ान की चाहत सीने में लिये
किसी ऊंचाई से गिरने का मन कर गया,
आज गिरी,कल फिर गिरूंगी
पर एक दिन ऊँची उड़ान भरूंगी.
कभी थककर ,कभी रूककर
फिर से चलूंगी,
ना रूकना है ना रूकूंगी,
ना थकना है ना थकूंगी,
आज फिर ऊंची उडा़न की चाहत सीने में लिये किसी
उचाई से गिरूंगी.
अब आसमान की उचाइयों को नापना है
उड़ने का हौसला बाधना है,
थककर अब नहीं बैठना है
आज फिर ऊची उड़ान भरना है
धरती से आसमान को चूमना है!