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Mani Mishra

Romance

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Mani Mishra

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तुम्हारी मुस्कान का आखिरी छोर

तुम्हारी मुस्कान का आखिरी छोर

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तेज बारिश और झूमते पेड़

चेहरे पर पडती ठंडक

सिहरते मन के पोर,,,


आते याद वो दिन पुराने 

उम्र की आड़ में छुप गए ना जाने 

तुम्हारी मुस्कान का वो आखिरी छोर ,,,,,


जब भीगे हम टपरो पर चाय ढूंढा करते थे 

जो कल्पना से भी परे थी 

वो हकीकत बुना करते थे,,,,,,,,


जब टटोलते थे एक दूजे का मन 

बिना बात रूठा करते थे 

तुम मनाओ पहले ये सोच लड़ा करते थे,,,,


अब तो ज़िम्मेवारी की तेेेज़ चमक

और भागती उम्र का 

कडवा शोर,,,,,,,,


पर सच कहूँ आज भी मन 

उसी पत्थर पर बैठा है 

जिस पर होती थी दिलकश बातें ,,,,


बसाते थे तुम दिलों की बस्तियाँ 

और हम ढूंढते थे 

तुम्हारी मुस्कान का आखिरी छोर!                   


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