तुम्हारी कॉफ़ी की ये चाहत
तुम्हारी कॉफ़ी की ये चाहत
ये जो तुम्हारी कॉफ़ी की चाहत है,
उसी चाहत से तो मुझे इतनी चाहत है ।
हर बार हर बात पे,
लड़ने के लिए,
मनाने के लिए,
घर में,
और कहीं बस यू हीं घूम आने के लिये,
ये जो तुम्हारी कॉफ़ी की चाहत है ......
मेरा हाथ थाम लेना
इसे पीते पीते
मेरा तुम्हारे काँधे पर ढल जाना,
सारी कायनात जैसे तुम्हारी बाहों में भर आना,
अतरंगी चेहरे बनाना कॉफ़ी के मग में,
और फिर मेरा उन्हें देख हर बार मुस्कुरा देना,
ये जो तुम्हारी कॉफ़ी की चाहत है,
उसी चाहत से तो मुझे इतनी चाहत है ।