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Jyotsna (Aashi) Gaur

Children Stories

4.7  

Jyotsna (Aashi) Gaur

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देखो देखो मेघा आई

देखो देखो मेघा आई

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अभी अभी की बात है – 

जब वृक्षों की हरितिमा धुन्धलाई ,

पशु-पक्षियों सहित मनुष्य की जान आफत में आई ,

और सूखी धरती ने भी शिव से त्राहि माम पुकार लगाई,

तब मोती सी बूंदों की पायल पहन कर मेघा आई ।

मेघवाहन के रथ पर चढ़ कर ढेर सारे मेघ भी लाई ,

मोती सी बूंदों की पायल पहन कर मेघा आई,

छम छम करती मेघा आई ।

देख सबसे पहले सारंग ने,

पीहू पीहू कर के सब तक बात ये पहुँचाई ,

देखो देखो मोती सी बूंदों की पायल पहन कर मेघा आई ।

छोटे बड़े सभी वृक्षों के मन में खोई आस लौट आई,

पशु, पक्षी और मनुष्य ने आकाश की ओर टकटकी लगाई,

प्यासी धरती ने भी झूम कर शीतल पवन बहाई ।

देखो देखो मोती सी बूंदों की पायल पहन कर मेघा आई ।

छम छम छम छम,

झम झम झम झम,

सावन भादो में मेघा ने बूंदों की झड़ी लगाई ।

सजीले मयूर ने मयूरी को सुन्दर पंख फैला कर आवाज़ लगाई,

इठलाती, शर्माती मयूरी ने भी पीहू पीहू कूक लगाई ।

संग उन के नाच उठे सब,

खुशियों की हर ओर से आवाज़ आई,

देखो देखो मोती सी बूंदों की पायल पहन कर मेघा आई ।

चारों ओर फिर से हरियाली चुनरी लहराई,

झूम उठी प्यासी धरती,

फसलों की नन्हीं नन्हीं कोपलें भी देखने दृश्य ऐसा सुन्दर

धरती से बाहर झांकती आई,

बोली वो भी गाती झूमती लहराती – 

अरे देखो, मेघवाहन की बेटी आई,

सुन्दर – शीतल – मनभावन मेघा आई,

मोती सी बूंदों की पायल पहन कर मेघा आई ।

अपने सभी बच्चों को खुश देख तृप्त हुई माँ धरती,

कहा सभी ने एक स्वर में –

आभार तुम्हारा शत शत प्यारी मेघा रानी,

हुई तुमसे हम सब को पुन: जीवन की प्राप्ति ।

“करो ना वृक्षों की बिन सोचे समझे अंधाधुंध कटाई,

ना ही करो छेड़ प्रकृति के नियमों से वर्ना समझो शामत आई ।

आज से ही शुरु करो तुम कल के बीजों का रोपण,

तो नहीं मचेगी इतनी त्राहि त्राहि ।

मुझ को तो आना है,तुम सब की प्यास बुझाना है,

यही मेरा जीवन है,यही मेरा उद्देश्य भी,

कष्ट यदि दिया माँ धरती को तो नहीं होगी तम्हारी भी भलाई ।”

कह कर चल दी मेघा अपने घर को जहाँ से थी वो आई,

छम छम छम छम झम झम झम झम

मेघवाहन के रथ पर चढ़ कर,

मोती सी बूंदों की पायल पहन कर……

पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, मानव और धरती 

खुश हो रहे थे सारे नाच रहे थे आपस में ये कह कर – 

मोती सी बूंदों की पायल पहन कर मेघा आई,

मोती सी बूंदों की पायल पहन कर मेघा आई, मेघा आई,

देखो चारों तरफ कितनी खुशियाँ लाई ।




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