तुम्हारी हँसी
तुम्हारी हँसी
कभी कभी यूँ ही हंस देता हूं मैं,
तुम्हारी वो मासूम सी हँसी देखकर
यूं ही मुस्कुरा देता हूं मैं,
जब से मैंने तुम्हें पहेली बार देखा है
एक कनैक्शन सा फील होता है,
पता नहीं क्यूं
पर अब हर एक पल तुम्हारा सा लगता है,
जब से मैं तुम्हें मिला हूं हो गया हूं मैं फ्लैट,
और नींद, चैन, प्यास सब उड़ गई है मेरी उड़,
जब मैं तुमसे पहेली बार मिला था
तभी से ये सोच रहा हूं
कि क्या ये दुनिया इतनी भी खूबसूरत है
या फिर है ये कोई विचित्र माया,
यूं ही हंसता देख लोग मुझे कहते पागल है,
पर कैसे मैं उन्हें समझाऊं
कि प्यार तो पागलों के नसीब में ही तो होता है,
तुम्हारे साथ बिताए वो सभी लम्हे मुझे याद आते है,
उन लम्हों को याद कर कर यूं ही खुश हो जाता हूं मैं,
तुम ही तो मेरी प्रेरणा मूर्ति हो,
बिना तुम्हारे मेरा कोई वजूद नहीं,
तुम ही तो मेरी प्रियतमा हो
और मैं हूं तुम्हारा प्रियतम,
लोग तो सात जनम में ही
एक दूसरे से पीछा छुड़ाना चाहते है,
लेकिन मैं तो हर एक पल, हर एक दिन,
हर एक साल, हर एक जनम
तुम्हारे साथ बिताना चाहता हूं,
मैं झगड़ना भी चाहता हूं
और चाहता हूं कि तुम रूठ जाओ,
और मैं ही तुम्हें मनाना भी चाहता हूं,
चाहे कितनी भी अड़चने आ जाए हमारे बीच,
लेकिन ये वादा है मेरा
कि ना मैं तुमसे अलग होऊंगा
और ना मैं तुम्हें खुद से दूर जाने दूंगा,
पता है परफेक्ट नहीं हूं में
और ना ही परफेक्ट बनना चाहता हूं,
लेकिन अगर तुम बोलोगी
तो मैं परफेक्ट बनने की एक कोशिश तो कर ही लूंगा,
पता है बहुत सी खामियां होंगी मुझ में,
पर मुझे ये भी पता है कि
मेरी हर एक खामी के साथ तुम मुझे अपनाओगी ,
और तुम्हारी मदद से ही
मैं खुद को एक बेहतर इंसान बना पाऊंगा,
तुमसे मिलकर ही तो मैंने प्यार के सही मायने पहचाने है,
पता नहीं तुम बिन अब कैसे कटेंगे ये लम्हे,
पता है मुझे मेरे मुकद्दर में नहीं लिखी तुम,
फिर भी तुम्हें पाने की चाहत रखता हूं मैं।