अनसुना प्यार
अनसुना प्यार
बिन कहे जो अल्फाज़ बन जाए
बिन सुने जो ख्वाब सज जाए
वही तो प्यार है जनाब
जो शायरी बन मुकम्मल हो जाए
आंखो से आंसू बन
होठों पे मुस्कान सज
तुम्हारे सारे गमों को पी जाए
वही तो प्यार है जनाब
जो तुम्हें तुमसे वाकिफ करा जाए
ना कुछ कहने को रह जाए
ना कुछ सुनने को बच जाए
फिर भी बातें हजार हो जाए
वही तो प्यार है जनाब
जो मौन से भी बातें करा जाए
शब्दों में कहीं गुमनाम है
बेशब्दों में जो बदनाम है
जीना जो आसान करा जाए
वही तो प्यार है जनाब
जो अल्फाज़ बन उभर आए
हाल दिल का बुरा है
वो पास फिलहाल कहां है
फिर भी उसके आने की आस दिखा जाए
वही तो प्यार है जनाब
जो हालातों से भी भीड़ जाए
पलकें जब नम हो
तुममें डूबा क
ोई गम हो
जब उसके आने की तारीख भी गुजर जाए
वही तो प्यार है जनाब
जब अंत में बाकी सिर्फ इंतजार बच जाए
फिर से उसके आने की एक आस सजे
सूरज की पहली किरण सी वो दिख चले
जब बाहों से बाहें टकरा जाए
वही तो प्यार है जनाब
जब बारबार वो कहीं तुममें ही लापता हो जाए
जब तुम आमने-सामने हो
बोलना भले ही कुछ ना चाहो
जब आंखो में एक बिजली सा दौड़ जाए
वही तो प्यार है जनाब
जब चार आंखे दो बन जाए
बरसों से तुम लापता थे
कौन, कहां ? इससे गुमशुदा थे
फिर भी दोनों से कुछ ना कहा जाए
वही तो प्यार है जनाब
जो मिलकर भी बिछड़ सा जाए
रातें डरा रही हो
आहटें सता रही हो
भले ही लाख बातें करलो तुम साये से
पर वही तो प्यार है जनाब
जो पूरी रात तुम्हें जगा जाए