Jepin Tank

Romance

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Jepin Tank

Romance

मुझे खोकर

मुझे खोकर

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मुझे खोकर भी वो खुश हो चली

या खुश होने का ढोंग रच चली


माना, कि माहीर हो तुम

मुझसे कईं ज्यादा शातिर हो तुम


मुझसे भी ज्यादा तजुर्बा है तुम्हें

ना ... नहीं ... प्यार का नहीं

खुदकी भावनाओं को दबाने का,

उसे जाहिर ना करने का हौंसला है ... तुममें


पर मैं बिलकुल ऐसा नहीं ...


जो होता है वो आंखो में दिख जाता है 

अगर आंखो में ना दिखे तो

कागज़ के पत्तों में बिखर जाता है

या फिर होठों पे संवर जाता है


में तो अपने दिल का गुलाम हूं

प्यार की रगों से करता ...

तुम्हें सलाम हूं 


तुम्हारे बढ़ते प्यार का जुखाम है मुझे

सिर्फ तसल्ली की तो दवा लाकर दे मुझे


क्या पता ... ?

में फिर से ठीक हो जाऊं

तुम्हारे जरिए से ... तुम्हारे नजरिए से ...

में खुद से मिल पाऊं


जब तुम हवा बन

मेरे सामने से गुजरती हो

जब में लिखने बैठता हूं

तब शब्द बन चहकती हो


हर एक अल्फाज़ से तुम बातें करती हो

हर एक शाम तुम सजती संवरती हो


सिर्फ में ही ये सब मेहसूस करता हूं

ऐसा बिलकुल भी नहीं है

तुम्हारे दिल का भी कुछ यही हालात है

बिगड़े दिल का कुछ यही आलम है


जब मैं तुम्हारी खिड़कियों से गुजरता हूं

सपनों में आकर तुम्हें छेड़ जाता हूं


मुझसे बात करना तुम्हे भाता है

मुझे छोड़ किसी और का होना

किसी और को दिल देना ... तुम्हे कहां आता है


फिर भी तुम जूठ बोलती हो

जूठ को सच बनाने का गुरुर रखती हो


नहीं ... मुझे तुमसे प्यार नहीं

में तुमसे प्यार नहीं करती

बस यही ढोंग ... खुदसे रचती हो


और ... 

औरों के हाथ में भी

किसी और के साथ में भी

बस यही जूठ थमाती हो


और ... 

सब कुछ सही होते हुए भी

बादल बन हवा हो जाती हो।



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