तुम्हारे साथ !
तुम्हारे साथ !
वो अक्सर मेरे सीने से
लिपटकर रोया करती है
और मैं अक्सर उस से
बस यही कहा करता था।
मुझे तुम्हारा रोना बिलकुल
अच्छा नहीं लगता है
और वो ये सुनकर और फूट
फूट कर रो लिया करती थी।
एक दिन जब मैंने उसे रोने
के लिए अपना कांधा देने
से मना कर दिया था
तब उसने मुझसे कहा,
राम जो तुम्हारे साथ बैठ
कर घंटों हंस सकती है
वो तुम्हारे साथ कुछ
घंटे ही बिता सकती है।
पर जो तुम्हारे साथ
खुलकर रो सकती है
वो ही तुम्हारे साथ सारी
जिंदगी बिता सकती है।
फिर मैंने कभी उसे मना
नहीं किया अपना कांधा
देने और रोने के लिए।