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Surendra kumar singh

Romance

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Surendra kumar singh

Romance

तुम्हारे प्रेम में हूँ

तुम्हारे प्रेम में हूँ

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तुम्हारे प्रेम में हूँ

और प्रेम के मजे में हूँ

तुम भी खूब हो

मुझे अपना दीवाना समझ रहे हो

मुमकिन है दीवाना रहा हूँ कभी

मुझे याद नहीं है

मैं तो प्रेम के मजे में हूँ


और देख रहा हूँ तुम्हारे प्रति दीवानगी

जाहिर करने के लिये

सड़कों पर जुलूस,

भीड़ की मौज और वही उबाऊ नारे

अजीब दृश्य हैं देश की राजधानी में

आदमी, आदमी नहीं

भीड़ नजर आ रहा है

प्रेम नहीं प्रेम की बातें कर रहा है।


अब मैं प्रेम के मजे लूँ

या प्रेम के तरीके सिखाऊँ।


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