तुम्हारे लिए
तुम्हारे लिए


मेरी ज़िन्दगी है तू मेरी बन्दगी भी है तू
तुझसे अलग तो मैं हूँ ही नहीं
मेरे महबूब सात जन्मो का नहीं
हर जन्म में तेरा साथ चाहूँ
आज चाँद से दुआओं में यही मैं मांगु
तेरे हर पल में अधिकार रहे
तेरी हर बात को मैं स्वीकार करूँ
पर परिपक्वता नहीं चाहिए प्रेम में
चाहूँ करनी नादानियां
और भूल जाओ तुम अपनी सब परेशानियां
जैसे तुम्हें देख मैं खुद को ही भूल गई
भूल गई संसार
याद रहा एक तार
जो तेरे दिल को मेरे दिल से है जोड़ता
आज भी हम वैसे ही
जैसे कल ही तो मिले थे
और पहली मुलाकात
आज भी है वो एहसास
हाँ तुम सिर्फ मेरे लिए बने हो
रहोगे दिल में खास
हरदम हमेशा
और लूँ जब अंतिम सांस
मेरे हर कण में
सिर्फ तुझे पाने की रहे प्यास
नहीं चाहूँ परमात्मा तुझसे मिलना
मेरी रूह जो तेरी रूह से मिल गई
पिया तुझमे ही मैने ईश्वर को पा लिया
ना जाना चाहूँ कोई तीर्थ
तेरे चरणो मे जो मैने चारो धाम पा लिया
बस हर पल की यही दुआ
मैं प्रेम मे हूँ तेरे
प्रेमिका हूँ मैं तेरी
तू मुझको जी ले तो ज़रा
कुछ पल की भी नाराजगी तेरी
उमर मेरी कमी कर देती है
और हँसी लबो की तेरी
अमरत्व मुझे दे देती है
लिखती हूँ कवितायें तुमपर
हाँ सिर्फ तुमपर
लिखती रहूँगी सिर्फ तुम्हारे लिए
इस इंतजार मे .......
की तेरे ज़ज़्बातों में
मैं भी इक दिन ढल जाऊँगी
तेरे रूह से
तेरे दिल की कलम तक बह जाऊँगी
तु पढ़े या ना पढ़े मुझे
मैं तुझको पढ़ना चाहूँगी
तेरे दिल के हर ज़ज़्बातों में
मैं खुद को पाना चाहूँगी