तुम्हारा होना
तुम्हारा होना
तुम्हारा होना
अस्तित्व का होना है
वैसे तो तुम होते ही हो
पर कभी कभी तुम्हारा होना
घटता है
जैसे कि घट रहा है।
तुम्हारा होना ही
अस्तित्व है
हमारा
पृथ्वी का
सूरज का
हवा का
मौसम का
तुम नहीं तो अंधेरा है
चारों तरफ गहरा भी घना भी।
लेकिन ये भी कितना दिलचस्प है
कि तुम्हारा होना ही
घटता है अंधेरे में भी
अस्तित्व सा
और रौशन हो उठता है
प्रकाश की तरह।