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Satish Chandra Pandey

Romance

3  

Satish Chandra Pandey

Romance

तुम तो सुबह की चाय सी

तुम तो सुबह की चाय सी

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आँखों को खोल दे जो

ऐसी ही ताजगी हो

तुम तो सुबह की चाय सी

मीठी सी ताजगी हो।

बाहर निकल के देखा

पौधों में ओस सी हो,

तुम ही तो जिन्दगी में

सचमुच के जोश सी हो।

आनन्द है तुम्हीं से

जीवन सुखद तुम्हीं से,

प्राणों का धन तुम्हीं हो

एकत्र कोष सी हो।

खुशबू हो फूल की तुम

रवि का उजाला हो तुम

हो टेक जिंदगी की

आधार ठोस सी हो।


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