तुम मत ही बनो कोरोना बम
तुम मत ही बनो कोरोना बम
हाथ जोड़कर हम विनती करते,
अब दया करो हम सब पर तुम।
दूरी रख लो और मास्क लगा लो,
तुम तो मत ही बनो कोरोना बम।
ये नासमझी या लापरवाही तुम्हारी,
कहर तुम्हारे अपनों पर ही ढाएगी।
कोरोना बम बनकर तुम अपनों के,
ही सबसे पहले संपर्क में आओगे।
जो हो गया संक्रमित कोई उनमें तो,
सिर पीटोगे और केवल पछताओगे।
सब खुद ही संक्रमित सब चाहेंगे सेवा,
क्या जिम्मेदारी निभा भी पाओगे तुम।
दूरी रख लो और मास्क लगा लो,
तुम तो मत ही बनो कोरोना बम।
कहते अध्ययन और देख रहे हम सब यह,
दूसरी लहर ज्यादा व्यापक व संक्रामक है।
अब युवा बहुत ही आ रहे हैं चपेट में इसकी,
और पहली लहर से कहीं अधिक ये घातक है।
अनुमानित तीसरी लहर नौनिहालों पर भी ,
निज निर्दयी क्रूर घातक ही प्रभाव बरपाएगी।
उनके लिए तो अभी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है,
एक बार अपने मन में जरा यह सोचो भी तुम।
दूरी रख लो और मास्क लगा लो,
तुम तो मत ही बनो कोरोना बम।
मास्क लगाने या दूरी बनाने भगवन न आएंगे ,
और न ही आएं मंत्री-संतरी या फिर सरकार।
कानून बनते हैं सदा जन-जन के हित में ही,
इनको अपनाएं हम बनकर पूरे ही जानकार।
अपना उल्लू सीधा करने में बड़े धूर्त डटे हैं,
प्रयोग करें निज बुद्धि का मन करते हुए विचार।
संकट में हैं कितने जीवन दीप बुझ ही चुके हैं,
इसके लिए न खुद को जिम्मेदार बनाओ तुम।
दूरी रख लो और मास्क लगा लो,
तुम तो मत ही बनो कोरोना बम।
सब खुद संभलें और औरों को भी संभालें
है यही मानवता की सेवा जग का उपकार।
सब अपने हिस्से का कर्त्तव्य निभाते जाएं,
न परोसी छप्पन भोग की थाली का इंतजार।
आर्य परंपरा के हम सब ही हैं सच्चे पोषक,
आदिकाल से माना जग को निज परिवार।
ऋषिपुत्रों निज परंपरा को तुम रहो निभाते,
कहीं विधु कलंक हम न ये दाग लगाओ तुम।
दूरी रख लो और मास्क लगा लो,
तुम तो मत ही बनो कोरोना बम।
